परमात्म शक्ति द्वारा महा परिवर्तन का Time
जैसे पानी की कमी से शरीर वा संसार में हाहाकार मच जाता है। वैसे ही आज संसार में पवित्रता की कमी से हाहाकार मचा हुआ है। अपवित्रता की अग्नि सारे मानव समाज को झुलसा रही है।"विषय वैतरणी नदी"आज के समय में जैसे बह रही है और उसमे समाज के सुशिक्षित,ऊँच पदासीन और तथाकथित धर्म के ठेकेदार जिस तरह गोते मार रहें हैं,यह तो कभी किसी ने सोचा भी नही होगा।
महाभारत के serial में एक द्रोपदी का चीर-हरण और रामायण के serial में एक सीता हरण का दृश्य पर्दे पर देख आँसू बहाने वालों ने तनिक सोचा भी नही होगा कि एक दिन हर मुहल्ले,हर गली में ही नही हर घर में ऐसी घटनाओं का live प्रसारण देखेंगे। पवित्रता की कमी से उपजी काम की इस अग्नि को भड़काने में इंटरनेट,फिल्मे,प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया घी का काम कर रहें हैं।
इसलिए राजयोग के अभ्यास से अपने अंदर शान्ति प्रेम और पवित्रता की शक्ति भरना आज बहुत ही जरूरी है। यह सोचना कि"जब फुर्सत मिलेगी तब करेंगे" बिलकुल गलत है। मनुष्य वर्तमान और भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए धनार्जन या विद्यार्जन जवानी में ही करता है तो फिर राजयोग के अभ्यास से अपने को शान्ति,प्रेम और पवित्रता जैसे सदगुणों से recharge करने के अति महत्वपूर्ण कार्य के लिए बुढ़ापे का इन्तजार क्यों???
So
यह फैंसला तो स्वयं को करना होगा कि आत्मिक रूप से शक्तियों से charge करने के लिए उपयुक्त समय वा आयु कौन सी है???यदि हम फुर्सत का इन्तजार करते हैं तो फुर्सत के पल तो पूरी जिन्दगी नही मिलते।परमात्म शक्ति द्वारा महापरिवर्तन का समय केवल अभी है।
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